रायपुर। छत्तीसगढ़ के चर्चित कोल और डीएमएफ (District Mineral Foundation) घोटाले में जांच प्रक्रिया पर नए सिरे से सवाल उठने लगे हैं। ईओडब्ल्यू अदालत में आरोपी निखिल चंद्राकर का बयान रिकॉर्डिंग के दौरान कथित गड़बड़ी सामने आई है। बताया जा रहा है कि आरोपी का बयान अदालत कक्ष के बाहर टाइप कर प्रस्तुत किया गया, जबकि न्यायिक प्रक्रिया के तहत यह कार्यवाही अदालत के भीतर ही होना अनिवार्य है।
इस अनियमितता को लेकर बचाव पक्ष ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। आरोपियों की ओर से एसीबी के IG अमरेश मिश्रा, ASP चंद्रेश ठाकुर और DSP राहुल शर्मा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराते हुए फॉरेंसिक जांच की मांग की गई है।
बचाव पक्ष का आरोप — न्यायिक प्रक्रिया का उल्लंघन
वरिष्ठ अधिवक्ता फैजल रिजवी ने अदालत में दावा किया कि बयान प्रक्रिया के दौरान “सबूतों से छेड़छाड़” की गई और न्यायालय के समक्ष गलत जानकारी प्रस्तुत की गई। उन्होंने कहा कि “यह कार्रवाई पूरी तरह न्यायिक नियमों के विपरीत है, और इसकी निष्पक्ष व स्वतंत्र जांच अनिवार्य है।”
अदालत ने अधिकारियों को तलब किया
मामले की गंभीरता को देखते हुए अदालत ने संबंधित अधिकारियों को 25 अक्टूबर तक पेश होने के निर्देश दिए हैं। अब न्यायालय इस बात की जांच करेगा कि बयान प्रक्रिया में यह गड़बड़ी तकनीकी त्रुटि थी या जानबूझकर नियमों का उल्लंघन किया गया।
जांच प्रक्रिया पर उठे सवाल
इस घटना ने एक बार फिर कोल और DMF घोटाले की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यदि अदालत में यह साबित हो जाता है कि बयान अदालत के बाहर तैयार किया गया था, तो संबंधित अधिकारियों पर गंभीर कानूनी और प्रशासनिक कार्रवाई संभव है।
न्याय और पारदर्शिता पर टिकी निगाहें
यह पूरा मामला अब राज्य में चल रही EOW और ACB जांच की विश्वसनीयता की कसौटी बन गया है। जनता की निगाहें अब इस बात पर टिकी हैं कि क्या अदालत इस कथित अनियमितता की पारदर्शी जांच सुनिश्चित कर पाएगी या नहीं।
