रायपुर।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने सार्वजनिक स्थानों में आवारा कुत्तों की आवाजाही रोकने के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। लेकिन स्कूल परिसरों की जिम्मेदारी सीधे प्राचार्यों पर डालने के निर्णय ने शिक्षकों में नाराजगी भड़का दी है। शिक्षक संगठनों ने इसे “अवास्तविक और अनावश्यक बोझ” बताते हुए आदेश वापस लेने की मांग उठाई है।
स्कूलों–अस्पतालों–बस स्टैंडों पर कुत्तों की एंट्री रोकने का आदेश
कुत्तों के काटने की बढ़ती घटनाओं पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्वत: संज्ञान लेने के बाद राज्य सरकार ने आधा दर्जन विभागों की जिम्मेदारियां तय करते हुए व्यापक अभियान शुरू किया है।
इसके तहत स्कूल, अस्पताल, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और अन्य भीड़भाड़ वाले स्थानों पर आवारा कुत्तों की घुसपैठ रोकने के निर्देश जारी हुए हैं।
सरकार ने सात दिनों के भीतर संवेदनशील स्थानों की पहचान कर फेंसिंग, गेट और अन्य सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करने को कहा है। प्रत्येक स्थान पर एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा, जो यह निगरानी करेगा कि परिसर में कुत्तों की एंट्री पूरी तरह बंद रहे।
पहले चरण में यह कार्रवाई
- स्कूलों में जिम्मेदारी प्राचार्यों की
- अस्पतालों में सीएमओ/अधीक्षक
- बस स्टैंड–स्टेशन पर मैनेजर
ये अधिकारी परिसर में कुत्तों के प्रवेश मार्गों की पहचान कर उन्हें बंद कराने की कार्रवाई करेंगे। आवश्यकता पड़ने पर अन्य विभागों से सहयोग भी लिया जाएगा।
कौन क्या करेगा: विभागवार जिम्मेदारी
पशुधन विकास विभाग
- आवारा कुत्तों की नसबंदी
- आरक्षित आश्रयस्थलों में पशु चिकित्सकों की तैनाती
स्वास्थ्य विभाग
- सरकारी व निजी अस्पतालों में एंटी-रेबीज वैक्सीन और इम्यूनोग्लोबुलिन का पर्याप्त स्टॉक
PWD
- ऐसे स्थानों की पहचान जहां से कुत्तों की एंट्री होती है
- फेंसिंग, बाउंड्रीवॉल और गेट का निर्माण
शिक्षा विभाग
- स्कूलों में छात्रों व स्टाफ की सुरक्षा
- काटने की घटना पर तत्काल प्राथमिक उपचार उपलब्ध कराना
नगर निगम/पालिका/पंचायत
- हर 3 महीने में निरीक्षण
- आवारा कुत्तों को पकड़ने और नसबंदी
- बाड़ा, डॉक्टर और देखभाल कर्मचारी
- हर वार्ड में भोजन स्थलों की व्यवस्था
- लोगों को स्ट्रीट डॉग गोद लेने के लिए प्रेरित करना
खेल मैदान प्रबंधन
- ग्राउंड में कुत्तों की एंट्री रोकने स्टाफ की तैनाती
शिक्षक संघ का विरोध— “शिक्षक पढ़ाएं या कुत्ते भगाएं?”
प्राचार्यों पर परिसर में कुत्तों की निगरानी और रोकथाम की जिम्मेदारी डालने पर शिक्षा जगत में नाराजगी है।
शालेय शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र दुबे ने बयान जारी कर कहा—
“शिक्षकों पर पहले से ही शिक्षण कार्य के साथ अनेक गैर-शैक्षणिक जिम्मेदारियां लादी जाती हैं। अब कुत्तों को भगाने और सुरक्षा प्रबंधन की जिम्मेदारी देना व्यावहारिक नहीं है। किसी अप्रिय घटना पर संस्था प्रमुख को दोषी ठहराना गलत है।”
उन्होंने मांग की कि यह जिम्मेदारी नगर निगम को सौंपी जाए, क्योंकि आवारा कुत्तों के प्रबंधन का अधिकारिक एवं तकनीकी दायित्व उसी का है।
