रायपुर। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (CGMSC) ने राज्य में सप्लाई की जा रही दवाओं की गुणवत्ता को लेकर बड़ी कार्रवाई की है। कॉरपोरेशन ने तीन दवाओं को ‘अमानक’ (Not of Standard Quality – NSQ) पाए जाने के बाद संबंधित आपूर्तिकर्ता कंपनियों को तीन वर्ष के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया है। यह कदम CGMSC की “जीरो टॉलरेंस पॉलिसी” के तहत उठाया गया है, जिसके तहत मरीजों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है।
🔴 ब्लैकलिस्ट की गई दवाएं और कंपनियां
| आपूर्तिकर्ता कंपनी | प्रतिबंधित दवाएं |
|---|---|
| मेसर्स एजी पैरेंटेरल्स, बद्दी (हिमाचल प्रदेश) | कैल्शियम (एलिमेंटल) विद विटामिन D3 टैबलेट्स, ऑर्निडाजोल टैबलेट्स |
| मेसर्स डिवाइन लेबोरेट्रीज प्रा. लि., वडोदरा (गुजरात) | हेपारिन सोडियम 1000 IU/ml इंजेक्शन IP |
सभी दवाओं के नमूने NABL मान्यता प्राप्त और सरकारी प्रयोगशालाओं में जांच के दौरान अमानक पाए गए। विशेष रूप से, डिवाइन लेबोरेट्रीज की हेपारिन इंजेक्शन सेंट्रल ड्रग्स लेबोरेट्री (CDL), कोलकाता में भी परीक्षण में असफल रही।
⚖️ ब्लैकलिस्टिंग के प्रभाव
इन कंपनियों को अगले तीन वर्षों तक CGMSC की किसी भी निविदा में भाग लेने की अनुमति नहीं होगी। आदेश तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है।
🩺 स्वास्थ्य मंत्री का बयान
स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा —
“मरीजों की सुरक्षा पर कोई समझौता नहीं होगा। गुणवत्ता में जरा भी कमी मिलने पर कार्रवाई जारी रहेगी।”
उन्होंने कहा कि सरकार दवा वितरण प्रणाली की पारदर्शिता और विश्वसनीयता को बनाए रखने के लिए लगातार निगरानी कर रही है।
🔍 CGMSC की गुणवत्ता नीति
कॉरपोरेशन ने स्पष्ट किया कि उसकी क्वालिटी एश्योरेंस और कंट्रोल पॉलिसी के तहत हर बैच की सघन जांच, पुनः परीक्षण और शिकायत पर तत्काल कार्रवाई की जाती है।
सभी कदम CDSCO, ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 और नियम 1945 के अनुरूप हैं, ताकि राज्य के अस्पतालों और मरीजों तक केवल उच्च गुणवत्ता वाली दवाएं ही पहुंच सकें।
