बिलासपुर। नेशनल हाईवे और अन्य सड़कों पर मवेशियों के आवागमन की चुनौतियों को लेकर हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। न्यायालय ने कहा है कि यदि सड़क पर मवेशी खुलेआम घूम रहे हों या बैठे हों, तो उस मार्ग पर टोल वसूलना न्यायसंगत नहीं माना जाएगा।
इस मामले की सुनवाई के दौरान प्रस्तुत याचिका में बिलासपुर से जांजगीर तक एनएचएआई के मार्गों पर मवेशियों के जमाव की तस्वीरें अदालत में रखी गईं। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि यदि राष्ट्रीय महामार्ग सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर पा रहे हों, तो टोल वसूली की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। अदालत ने कहा कि सड़क पर मवेशियों के निकलने की स्थिति में आम नागरिकों की भी जिम्मेदारी बनती है।
राज्य सरकार ने प्रारंभ में जवाब दाखिल करने की मांग की, यह बताते हुए कि नए मुख्य सचिव की नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि वे मुख्यमंत्री स्तर पर जवाब दें और नए मुख्य सचिव को दो हफ्तों में व्यक्तिगत हलफनामा पेश करने का निर्देश दिया।
मवेशियों से जुड़े हादसे
- जुलाई से सितंबर के दौरान तीन बड़े सड़क हादसों में कुल 39 मवेशियों की मौत हुई।
- 14 जुलाई को कोटा के पास 13 गायों की मृत्यु और 4 घायल।
- 28 जुलाई को बिल्हा ब्लॉक में 19 गायों को एक वाहन ने कुचला; उनमें से 18 की मौत।
- 17 सितंबर को एनएच-130 पर 8 मवेशियों की कुचलने की घटना।
अभियुक्त चालक को गिरफ्तार कर ट्रेलर सीजी-11 एके-9525 जब्त किया गया।
सरकार-प्रशासन ने उठाए कदम
- संवेदनशील स्थानों पर सोलर लाइट लगाई जा रही है।
- “गौ-धाम” और पशु आश्रय गृह स्थापित करने की योजना।
- आवारा पशु प्रबंधन हेतु मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयाँ सक्रिय।
- जन जागरूकता अभियान, ग्राम सभा स्तर बैठकें, पोस्टर-बैनर आदि के माध्यम से प्रयास।
- घायल पशुओं के लिये त्वरित सेवा हेतु टोल-फ्री नंबर जारी किया गया।
