रायपुर। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य की जांच एजेंसियों EOW (Economic Offences Wing) और ACB (Anti-Corruption Bureau) पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि ये एजेंसियां न्यायिक प्रक्रिया में सीधा हस्तक्षेप कर रही हैं और अदालतों में झूठे दस्तावेज़ व बयान पेश कर रही हैं।
बघेल ने दावा किया कि कोयला घोटाले के आरोपी सूर्यकांत तिवारी की जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान यह “षड्यंत्र” सामने आया। उनके अनुसार, सुप्रीम कोर्ट में जमा दस्तावेजों में सह-आरोपी निखिल चंद्राकर का बयान धारा 164 (अब BNS की धारा 183) के तहत शामिल किया गया, जो गोपनीय रहना चाहिए था — लेकिन उसे खुले रूप में अदालत में पेश किया गया।
उन्होंने कहा, “यह न्याय की मूल भावना पर गहरा आघात है। जब अदालतें और जांच एजेंसियां मिलकर काम करने लगेंगी, तो लोकतंत्र की नींव ही हिल जाएगी।”
🔸 “पेन ड्राइव से टाइप कर पेश किया गया बयान”
पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि जांच एजेंसियों ने आरोपी का बयान अदालत में लिखवाने के बजाय पहले से टाइप कर पेन ड्राइव में तैयार किया, जिसे बाद में अदालत में “वास्तविक बयान” के रूप में पेश कर दिया गया। बघेल के मुताबिक, “यह पूरी प्रक्रिया न्यायिक नियमों का खुला उल्लंघन और आपराधिक कृत्य है।”
उन्होंने आगे कहा कि “रायपुर की कुछ अदालतें EOW और ACB के साथ मिलकर न्याय की पवित्रता को ठेस पहुंचा रही हैं। अगर यह सिलसिला जारी रहा, तो आम जनता का भरोसा न्यायपालिका से उठ जाएगा।”
🔸 “फॉन्ट में फर्क से खुला हेराफेरी का राज”
बघेल ने बताया कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अदालत में तैयार दस्तावेज़ों के लिए एक समान फॉन्ट का उपयोग अनिवार्य किया है, लेकिन EOW द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज़ों के फॉन्ट में भिन्नता मिली। उन्होंने कहा, “यह इस बात का प्रमाण है कि बयान में बाद में हेराफेरी की गई।”
उन्होंने यह भी बताया कि 30 सितंबर 2025 को रायपुर कोर्ट में दो मामलों के बयान दर्ज हो रहे थे, जहाँ एक ही कंप्यूटर और पेन ड्राइव से दोनों बयान लिए जा रहे थे। इस पर तीन वरिष्ठ वकीलों ने DJ कोर्ट में औपचारिक शिकायत दर्ज कराई है।
🔸 “न्यायिक मर्यादा के खिलाफ षड्यंत्र”
बघेल ने कहा कि यह पूरा घटनाक्रम केवल एक तकनीकी गलती नहीं, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने का संगठित प्रयास है। उन्होंने मांग की कि इस पूरे मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच होनी चाहिए, ताकि न्याय व्यवस्था में जनता का विश्वास बना रहे।
🔸 विपक्षी दलों में हलचल
भूपेश बघेल के इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल बढ़ गई है। कई कांग्रेस नेताओं ने इसे “गंभीर संस्थागत संकट” बताया है, जबकि सत्ता पक्ष का कहना है कि “EOW और ACB अपने कर्तव्यों का पालन कर रही हैं और सभी कार्रवाइयाँ कानूनी दायरे में हैं।”
