रायपुर। अग्रवाल समाज और सिंधी समाज के ईष्ट देवताओं के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में फरार चल रहे जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी के प्रमुख अमित बघेल ने आखिरकार देवेन्द्र नगर थाने में आत्मसमर्पण कर दिया। सरेंडर के समय थाने के बाहर भारी पुलिस बल तैनात रहा, वहीं जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी और छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के बड़ी संख्या में समर्थक उपस्थित रहे।
दो थानों में दर्ज थे मामले, पुलिस ने घोषित किया था भगोड़ा
अग्रसेन महाराज और झूलेलाल भगवान पर की गई विवादित टिप्पणी के बाद बघेल के खिलाफ देवेन्द्र नगर और कोतवाली दोनों थानों में एफआईआर दर्ज की गई थी। मिलीभगत के आरोपों से बचने के लिए रायपुर पुलिस ने उन्हें भगोड़ा घोषित कर 5,000 रुपये का इनाम भी घोषित किया था।
सरेंडर के दौरान उनके साथ वकील भी मौजूद रहे।
पुलिस पर माहौल बनाने का आरोप
अमित बघेल के आत्मसमर्पण के दौरान समर्थकों और पुलिस के बीच हल्की नोकझोंक की स्थिति भी बनी।
छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के जिला महामंत्री मनोज साहू ने आरोप लगाया कि:
- “जब बघेल खुद सरेंडर करने आए थे, तो पुलिस ने अनावश्यक तनाव पैदा किया।”
- “राज शेखावत जैसे अन्य आरोपियों पर कार्रवाई नहीं हो रही, जबकि बघेल के मामले में दिखावटी सख़्ती की जा रही है।”
उधर, जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी के प्रवक्ता दीपक साहू ने कहा कि वे चाहते हैं कि बघेल को जल्द रिहाई मिले ताकि वह अपनी माता की अंत्येष्टि सम्पन्न कर सकें।
कहां से शुरू हुआ विवाद?
मामला 27 अक्टूबर को उस समय भड़का जब छत्तीसगढ़ महतारी की मूर्ति तोड़फोड़ के पहले से गर्म माहौल के बीच अमित बघेल ने एक बयान दिया, जिसमें उन्होंने अग्रवाल और सिंधी समाज के ईष्ट देवों पर टिप्पणी की।
इस टिप्पणी का वीडियो सामने आते ही दोनों समुदायों ने कड़ी नाराजगी जताई।
मूर्ति तोड़फोड़ की पूरी कहानी
- 26 अक्टूबर 2025 को रायपुर के VIP चौक में छत्तीसगढ़ महतारी की मूर्ति को नुकसान पहुंचाया गया।
- अगली सुबह अमित बघेल वहां पहुंचे और उन्होंने जमकर प्रदर्शन किया।
- इस दौरान समर्थकों और पुलिस के बीच धक्का-मुक्की हुई।
- बाद में पुलिस ने आरोपी युवक को गिरफ्तार किया, जो मानसिक रूप से अस्वस्थ और नशे में था।
अग्रवाल और सिंधी समाज में रोष
विवादित टिप्पणी के बाद रायपुर, रायगढ़, सरगुजा सहित कई जिलों में:
- दोनों समाजों के लोग सड़कों पर उतरे,
- विरोध प्रदर्शन हुए,
- और एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई।
सिंधी समाज के पदाधिकारियों ने कोतवाली थाने में औपचारिक शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद मामला तेजी से तूल पकड़ गया।
