Chhattisgarh

भारत पहुंचने के दूसरे दिन पुतिन का भव्य स्वागत: राष्ट्रपति भवन में मिली 21 तोपों की सलामी, राजघाट में बापू को नमन — आज होगी 23वीं भारत-रूस समिट

भारत पहुंचने के दूसरे दिन पुतिन का भव्य स्वागत: राष्ट्रपति भवन में मिली 21 तोपों की सलामी, राजघाट में बापू को नमन — आज होगी 23वीं भारत-रूस समिट

नई दिल्ली। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत दौरे के दूसरे दिन गुरुवार सुबह राष्ट्रपति भवन पहुंचे, जहाँ उन्हें राजकीय सम्मान के साथ गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस औपचारिक समारोह में मौजूद रहे। पुतिन को 21 तोपों की सलामी भी दी गई, जो भारत में किसी भी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष को मिलने वाला सर्वोच्च प्रोटोकॉल सम्मान होता है।

राजघाट में महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि

राष्ट्रपति भवन में औपचारिक स्वागत के बाद पुतिन सीधे राजघाट पहुँचे। यहाँ उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किया। राजघाट से पुतिन हैदराबाद हाउस के लिए रवाना हुए, जहाँ आज 23वीं भारत–रूस वार्षिक शिखर वार्ता आयोजित की जा रही है।

इस बैठक में प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन कई अहम वैश्विक और द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा करेंगे। बैठक के दौरान रक्षा, ऊर्जा, व्यापार, अंतरिक्ष, आर्कटिक सहयोग और तकनीकी साझेदारी से जुड़े कई समझौतों पर हस्ताक्षर होने की संभावना है।


रूस का भारत को बड़ा प्रस्ताव: आर्कटिक शिप बिल्डिंग में साझेदारी की पेशकश

शिखर वार्ता से पहले रूस की ओर से भारत को एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव मिला है। रूस ने भारत को आर्कटिक शिप बिल्डिंग प्रोजेक्ट में शामिल होने का न्योता दिया है।
सूत्रों के मुताबिक, रूस अपने आइस-ब्रेकर जहाजों की तकनीक और भारत की शिप बिल्डिंग क्षमता को मिलाकर संयुक्त परियोजना शुरू करने का इच्छुक है। यह सहयोग व्यापारिक मार्गों, समुद्री सुरक्षा और वैश्विक शिपिंग सेक्टर में भारत की भूमिका को मजबूत कर सकता है।


रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और रूसी रक्षा मंत्री की अहम बैठक

प्रधानमंत्री मोदी और पुतिन की बैठक से पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रूसी रक्षा मंत्री आंद्रे बेलोउसॉव से मुलाकात की। बैठक में दोनों देशों ने रक्षा सहयोग को नई ऊँचाइयों पर ले जाने और उभरती तकनीकों पर संयुक्त काम करने की प्रतिबद्धता जताई।

राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत का लक्ष्य न सिर्फ स्वदेशी रक्षा उत्पादन बढ़ाना है, बल्कि आने वाले वर्षों में रक्षा निर्यात को भी मजबूत बनाना है। भारत–रूस रक्षा संबंध “विश्वास, पुरानी साझेदारी और पारस्परिक सम्मान” की नींव पर खड़े हैं।

यह मुलाकात पुतिन और मोदी के बीच होने वाली शिखर वार्ता के पहले सुरक्षा व रक्षा एजेंडा को स्पष्ट दिशा देने वाला महत्वपूर्ण संवाद माना जा रहा है।


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Editor Jamhoora

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