नई दिल्ली। मशहूर कवि और वक्ता डॉ. कुमार विश्वास ने दिवाली से पहले आतिशबाजी के विरोध को लेकर तीखा तंज कसा है।
मुंबई के षणमुखानंद हॉल में आयोजित एक कवि सम्मेलन के दौरान उन्होंने व्यंग्यात्मक अंदाज़ में कहा कि “तीन साल से रूस और यूक्रेन एक-दूसरे पर गोले दाग रहे हैं, गाज़ा में बम बरस रहे हैं, लेकिन ओजोन परत जस की तस है। अब दिवाली की चार फुलझड़ियाँ जलेंगी तो ओजोन में छेद हो जाएगा!”
डॉ. विश्वास ने हल्के-फुल्के अंदाज़ में आगे कहा —
“तीन साल से गोला-बारूद चल रहा है, धरती घूम रही है, सब ठीक है। लेकिन जैसे ही भारत में दिवाली आएगी, चार फुलझड़ियाँ जलेंगी और ओजोन में इतना बड़ा छेद हो जाएगा कि उसमें से बहुत सारे बुद्धिजीवी ऊपर जाएंगे और नीचे आएंगे।”
💬 “पर्यावरण के नाम पर त्योहारों को निशाना बनाया जा रहा है”
कुमार विश्वास के इस बयान को सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया जा रहा है।
कई यूजर्स ने इसे “वास्तविक व्यंग्य” बताया तो कुछ ने कहा कि “कुमार विश्वास ने वह कह दिया जो लोग सोचते हैं लेकिन बोल नहीं पाते।”
हर साल की तरह इस बार भी दिवाली पर आतिशबाजी को लेकर बहस छिड़ चुकी है।
एक पक्ष का कहना है कि हिंदू त्योहारों को जानबूझकर पर्यावरण के नाम पर निशाना बनाया जाता है, जबकि दुनिया भर में न्यू ईयर, क्रिसमस या अन्य आयोजनों पर होने वाली आतिशबाजी पर कोई सवाल नहीं उठाता।
वहीं दूसरा पक्ष यह दलील देता है कि पटाखों से वायु प्रदूषण बढ़ता है, जिससे स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों प्रभावित होते हैं।
🪔 कुमार विश्वास की टिप्पणी ने छेड़ी नई बहस
कवि सम्मेलन में दिए गए इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है।
कुछ लोगों ने इसे त्योहारों के सांस्कृतिक दृष्टिकोण का बचाव बताया, तो कुछ ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए जिम्मेदारी सभी को लेनी चाहिए।
हालांकि, कुमार विश्वास का बयान उनकी विशिष्ट शैली में व्यंग्य और तर्क का मिश्रण था, जिसने एक बार फिर उन्हें चर्चा के केंद्र में ला दिया है।
