रायपुर। नया रायपुर के जंगल सफारी की शान रही रॉयल बंगाल टाइग्रेस ‘बिजली’ का निधन हो गया है। आठ वर्षीया यह शेरनी लंबे समय से बीमार थी और इलाज के लिए उसे गुजरात के वंतारा वाइल्डलाइफ रेस्क्यू एंड केयर सेंटर, जामनगर भेजा गया था। शुक्रवार देर रात बिजली ने वहीं उपचार के दौरान दम तोड़ दिया।
हर संभव प्रयास के बावजूद नहीं बच सकी बिजली
वंतारा प्रबंधन की ओर से जारी बयान में कहा गया है —
“भारी मन से सूचित कर रहे हैं कि रायपुर जंगल सफारी की बहादुर शेरनी बिजली का निधन हो गया। उसे बचाने के लिए हर संभव प्रयास किए गए, लेकिन वह आखिरी तक संघर्ष करती रही। अपने केयरटेकर और समर्पित मेडिकल टीम की मौजूदगी में उसने अंतिम सांस ली।”
सेंटर ने आगे कहा कि बिजली के उपचार से जो अनुभव मिला है, उसके आधार पर संस्था संकटग्रस्त वन्यजीवों को आधुनिक तकनीक और विशेष पशु चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने का प्रयास जारी रखेगी।
22 अगस्त से थी बीमार, नहीं खा पा रही थी भोजन
सूत्रों के अनुसार, बिजली को 22 अगस्त को जंगल सफारी के रेस्क्यू एरिया में कमजोर अवस्था में पाया गया था। वह न तो ठीक से खा रही थी, न ही चल पा रही थी। प्रारंभिक जांच में स्थानीय पशु चिकित्सकों ने हैमाप्रोटोजोआ संक्रमण की आशंका जताई थी, हालांकि भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) बरेली से आई PCR रिपोर्ट निगेटिव रही।
उपचार के लिए जामनगर स्थानांतरित की गई थी
स्वास्थ्य में सुधार नहीं होने पर 7 अक्टूबर को बिजली को हावड़ा–अहमदाबाद एक्सप्रेस की पार्सल वैन के जरिए रायपुर से जामनगर स्थित वंतारा सेंटर भेजा गया था। अधिकारियों ने बताया कि रायपुर में आवश्यक आधुनिक पशु चिकित्सा उपकरण न होने के कारण यह कदम उठाया गया था।
जंगल सफारी के एक अधिकारी ने बताया —
“बिजली का इलाज लगातार चल रहा था, लेकिन उसके खाने-पीने की समस्या दूर नहीं हो पा रही थी। विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही उसे गुजरात भेजने का निर्णय लिया गया था ताकि उसे बेहतर इलाज मिल सके।”
पोस्टमॉर्टम से स्पष्ट होगा मौत का कारण
बिजली की मौत के बाद राज्य ने अपनी सबसे पहचानने योग्य बाघिनों में से एक को खो दिया है। वन विभाग ने बताया कि उसका पोस्टमॉर्टम वंतारा सेंटर में ही कराया जाएगा, जिससे मौत के असली कारण का पता चल सके।
