रायपुर/बालोद। आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने की दिशा में छत्तीसगढ़ के एक किसान ने बड़ी मिसाल पेश की है। बालोद जिले के गुंडरदेही तहसील के ग्राम सिकोसा निवासी समीर डाहरे ने प्रधानमंत्री कुसुम योजना (कंपोनेंट-A) के तहत अपने खेत में 0.5 मेगावाट का सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित कर इतिहास रच दिया है।
समीर डाहरे देश के अनुसूचित जाति (सतनामी) वर्ग से पहले व्यक्ति हैं, जिन्होंने इस योजना के अंतर्गत सौर ऊर्जा संयंत्र लगाकर राष्ट्रीय विद्युत ग्रिड को बिजली आपूर्ति शुरू की है। यह उपलब्धि न केवल छत्तीसगढ़, बल्कि पूरे देश के लिए गौरव का विषय बन गई है।
☀️ खेतों से अब निकलेगी ऊर्जा, नहीं सिर्फ फसल
बी.ई. (सिविल) इंजीनियर समीर डाहरे ने अपने कृषि भूखंड पर सौर संयंत्र लगाकर अब हर महीने राष्ट्रीय ग्रिड को बिजली बेच रहे हैं।
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कुसुम योजना ने ग्रामीण किसानों को आत्मनिर्भर बनने का अवसर दिया है।
समीर कहते हैं —
“पहले हमारी जमीन सिर्फ खेती का साधन थी, अब वही भूमि स्वच्छ ऊर्जा पैदा कर रही है। इस योजना ने हमें आत्मनिर्भर बनाया और समाज में नई पहचान दी।”
🙏 सरकार और परिवार का जताया आभार
समीर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री के प्रति आभार जताते हुए कहा कि —
“सरकार ने किसानों के लिए जो संवेदनशील नीतियां बनाई हैं, वे वास्तव में ऐतिहासिक हैं। कुसुम योजना ने गांवों में नई उम्मीद जगाई है और हर वर्ग को समान अवसर दिया है।”
🌱 हरित ऊर्जा की दिशा में प्रेरणा बना छत्तीसगढ़
पूर्व विधायक सांवला राम डाहरे के पुत्र समीर डाहरे की यह उपलब्धि अब राज्यभर के किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई है।
उनकी पहल यह दिखाती है कि अगर तकनीक और नीति का सही उपयोग किया जाए, तो गांवों में भी हरित ऊर्जा क्रांति संभव है।
💡 क्या है प्रधानमंत्री कुसुम योजना?
प्रधानमंत्री कुसुम योजना (KUSUM) का उद्देश्य किसानों को सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने की अनुमति देना है, जिससे वे अपनी भूमि से बिजली उत्पन्न कर उसे ग्रिड में बेचकर अतिरिक्त आय अर्जित कर सकें।
यह योजना ग्रामीण भारत में ऊर्जा आत्मनिर्भरता और पर्यावरण संरक्षण, दोनों को बढ़ावा देती है।
