नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को एक अभूतपूर्व घटना देखने को मिली, जब सुनवाई के दौरान एक वकील ने मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की ओर जूता फेंकने की कोशिश की। सुरक्षा कर्मियों की तत्परता से स्थिति तुरंत नियंत्रण में आ गई और आरोपी वकील राकेश किशोर कुमार को मौके पर ही हिरासत में ले लिया गया।
🕵️♂️ तीन घंटे चली पुलिस की पूछताछ
दिल्ली पुलिस ने वकील से सुप्रीम कोर्ट परिसर में ही करीब तीन घंटे तक पूछताछ की। जांच का मुख्य फोकस यह था कि क्या इस हरकत के पीछे कोई बड़ी साजिश या संगठन जुड़ा हुआ है।
हालांकि, पुलिस ने साफ किया कि पूछताछ में किसी आपराधिक षड्यंत्र या बाहरी संगठन से जुड़ाव के सबूत नहीं मिले। इसके बाद उसे चेतावनी देकर रिहा कर दिया गया।
⚖️ सुप्रीम कोर्ट ने दर्ज नहीं कराई FIR, SCBA ने रद्द किया लाइसेंस
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने घटना की कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं कराई।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने आरोपी वकील पर कड़ी कार्रवाई करते हुए उसका लाइसेंस तुरंत प्रभाव से रद्द कर दिया।
💬 “दैवीय शक्ति ने कहा था ऐसा करो” — आरोपी का बयान
पूछताछ के दौरान आरोपी वकील ने दावा किया कि उसे “दैवीय संकेत” मिले थे और वही उसके इस कदम की वजह है।
उसने कहा कि उसे CJI चंद्रचूड़ के हालिया बयान से गहरा आघात पहुंचा था — जिसमें उन्होंने कहा था कि “भारत की न्याय व्यवस्था कानून से चलती है, बुलडोजर से नहीं।”
राकेश के मुताबिक, यह टिप्पणी “भारत की न्याय प्रणाली और देवताओं का अपमान” थी, इसलिए उसने यह कदम उठाया।
दिल्ली पुलिस सूत्रों ने बताया कि आरोपी ने माफी मांगने से भी इनकार कर दिया और कहा कि उसे अपने कृत्य पर कोई अफसोस नहीं है।
👨👩👦 परिवार ने जताई नाराजगी, बोला — शर्मिंदगी हुई
राकेश किशोर के परिवार ने इस घटना पर नाराजगी और शर्मिंदगी जताई है। परिजनों का कहना है कि वे समझ नहीं पा रहे कि उसने इतना चरम कदम क्यों उठाया।
मयूर विहार निवासी यह वकील वर्ष 2011 से सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन का सदस्य था, लेकिन उसने अब तक किसी बड़े केस में पैरवी नहीं की।
⚖️ CJI चंद्रचूड़ का संयमित रुख — “हम विचलित नहीं हैं”
घटना के दौरान मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने पूरी शांति और संयम बनाए रखा। उन्होंने कोर्ट में मौजूद सुरक्षाकर्मियों से कहा,
“इन सब बातों से विचलित मत होइए। हमें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।”
उनका यह जवाब अदालत में मौजूद सभी वकीलों और अधिकारियों के लिए न्यायपालिका की गरिमा और धैर्य का प्रतीक बन गया।
