लेह/जोधपुर। पर्यावरण कार्यकर्ता और लद्दाख में आंदोलन का चेहरा बने सोनम वांगचुक अब जोधपुर सेंट्रल जेल में हैं। शुक्रवार को लेह पुलिस ने उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत हिरासत में लिया और कुछ ही घंटों बाद एयरलिफ्ट कर राजस्थान के जोधपुर भेज दिया गया। जेल पहुंचते ही उनका मेडिकल चेकअप हुआ और अब उन्हें हाई-सिक्योरिटी वार्ड में रखा गया है, जहां 24 घंटे सीसीटीवी कैमरे उनकी हर गतिविधि पर नज़र रखेंगे।
क्यों हुई गिरफ्तारी?
तीन दिन पहले लद्दाख में हुए बड़े प्रदर्शन को भड़काने का आरोप वांगचुक पर है। यह आंदोलन लद्दाख को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर शुरू हुआ था, लेकिन अचानक हिंसा भड़क गई। इस झड़प में 4 लोगों की मौत हो गई और 90 से ज्यादा लोग घायल हुए। हालात बिगड़ने के बाद प्रशासन ने इंटरनेट सेवाएं भी बंद कर दीं।
जेल में विशेष निगरानी
सूत्रों का कहना है कि जेल प्रशासन वांगचुक को किसी भी बाहरी संपर्क से दूर रख रहा है। हालांकि उसी जेल में आसाराम बापू भी बंद हैं, लेकिन दोनों को अलग-अलग वार्ड में रखा गया है।
आंदोलन और अनशन
वांगचुक ने 10 सितंबर को लेह में अनशन शुरू किया था। उनकी मांग थी कि लद्दाख की नाजुक पारिस्थितिकी (fragile ecology) को बचाने, छठी अनुसूची के तहत सुरक्षा देने और राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए केंद्र सरकार कदम उठाए। हालांकि 24 सितंबर को हिंसा भड़कने के बाद उन्होंने अनशन तोड़ दिया।
विरोध में मोमबत्ती मार्च
वांगचुक की गिरफ्तारी के खिलाफ दिल्ली में भी सियासी हलचल दिखी। आम आदमी पार्टी (AAP) ने जंतर-मंतर पर कैंडल मार्च निकाला। दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज समेत कई नेता इसमें शामिल हुए और सरकार पर लोकतांत्रिक आवाज़ दबाने का आरोप लगाया।
