डोंगरगढ़। पहाड़ की ऊँचाई पर विराजित माँ बम्लेश्वरी के दरबार में आज से शारदीय नवरात्र का पर्व शुरू हो गया है। सुबह से ही मंदिर परिसर में माँ के जयकारों की गूंज और घंटियों की ध्वनि से माहौल भक्तिमय हो गया। फूलों, रंगोलियों और दीपों से सजे दरबार में देश-प्रदेश से आए श्रद्धालु मनोकामना पूर्ति की आस लेकर दर्शन करने पहुंच रहे हैं।
माँ बम्लेश्वरी की आराधना का यह नौ दिवसीय पर्व 22 सितंबर से 1 अक्टूबर तक चलेगा, जबकि 2 अक्टूबर को विजयदशमी मनाई जाएगी। मंदिर प्रबंधन ने परंपरा के अनुरूप एकम को घटस्थापना, अष्टमी को हवन और नवमी को विसर्जन का आयोजन तय किया है।
सुरक्षा और व्यवस्था पर खास फोकस
इस बार भीड़ प्रबंधन को लेकर प्रशासन ने सख्त इंतज़ाम किए हैं। रेलवे, जिला प्रशासन और पुलिस ने मिलकर योजना बनाई है। लगभग 1,000 पुलिस जवान व्यवस्था में तैनात किए गए हैं, वहीं यात्रियों की सुविधा के लिए रेलवे ने विशेष इंतज़ाम किए हैं।
2,200 साल पुराना आस्था का केंद्र
डोंगरगढ़ स्थित यह प्राचीन मंदिर करीब 1,600 फीट ऊँचाई पर स्थित है, जहाँ तक पहुँचने के लिए लगभग 1,000 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। श्रद्धालुओं के लिए रोपवे की भी सुविधा उपलब्ध है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, यह स्थल 2,200 वर्ष पुराना आस्था केंद्र माना जाता है। यहाँ की लोककथाएँ राजा वीरसेन, विक्रमादित्य और पांडवों से जुड़ी कहानियाँ सुनाती हैं, हालाँकि पुरातात्विक साक्ष्य सीमित हैं।
सिर्फ धार्मिक नहीं, सांस्कृतिक और आर्थिक पर्व भी
नवरात्र यहाँ केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक जीवन का भी उत्सव बन जाता है। इन नौ दिनों में डोंगरगढ़ में लाखों श्रद्धालु जुटते हैं। भक्त उपवास, कीर्तन और रात्रि-पूजा में शरीक होकर माँ के नौ रूपों की आराधना करते हैं और अधर्म पर धर्म की विजय का संकल्प लेते हैं।
