नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने जवानों के कथित दुरुपयोग पर दाखिल एक जनहित याचिका पर केंद्रीय गृह मंत्रालय और सीमा सुरक्षा बल (BSF) को नोटिस जारी किया है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि पुलिस और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) के वरिष्ठ अधिकारियों के आवासों पर जवानों को घरेलू कामों के लिए लगाया जाता है। यहां तक कि उन्हें अधिकारियों के पालतू कुत्तों की देखभाल तक करनी पड़ती है।
BSF के DIG ने दायर की याचिका
यह याचिका BSF के सेवारत DIG संजय यादव ने दायर की है। चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले को सुनवाई के लिए स्वीकार किया और गृह मंत्रालय व BSF से जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई जनवरी 2026 में होगी।
“83 हजार पद खाली, जवानों का दुरुपयोग राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा”
याचिकाकर्ता का कहना है कि जवानों को सीमाओं की सुरक्षा और कानून-व्यवस्था की ड्यूटी से हटाकर घरेलू सेवाओं में लगाया जाना गंभीर दुरुपयोग है। CAPF और असम राइफल्स में 83 हजार से अधिक पद खाली हैं, ऐसे में जवानों को निजी काम में झोंकना देश की सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है।
2016 की गाइडलाइन का हवाला
याचिका में 21 नवंबर 2016 को कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) द्वारा जारी उस नोटिस का भी उल्लेख किया गया है, जिसमें सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और केंद्रीय बलों को निर्देश दिया गया था कि रिटायरमेंट के एक महीने के भीतर जवानों की सेवाएं और सरकारी सुविधाएं वापस ले ली जाएं।
BSF ने पहले ऐसे 131 जवानों की सूची तैयार की थी, जो बिना अनुमति विभिन्न रिटायर अधिकारियों के यहां तैनात थे। हालांकि, याचिकाकर्ता का दावा है कि असल संख्या इससे कहीं अधिक है और इस पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
कोर्ट ने मांगा विस्तृत जवाब
हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीर मानते हुए केंद्र और BSF से पूछा है कि जवानों को निजी सेवाओं में लगाए जाने की शिकायतों पर क्या कदम उठाए गए हैं और भविष्य में ऐसी घटनाएं रोकने के लिए क्या व्यवस्था की जाएगी।
